जब तथाकथित मानवाधिकारवादी छुप के बैठ गए तो गांधीवादियों के रूप में नामचीन हस्तियों का छत्तीसगढ़ की जमीन पर आगमन हुआ शांति यात्रा के लिए . जब तक सरकार चुप थी तो तब तक सब शांत था . सरकार ने कदम उठाने शुरू किए तो इनकी भी नींद में खलल पड़ा और कूच कर गए अपने एसी कमरों को छोड़ कर हवा मे उड़ते हुए छत्तीसगढ़ की ओर .
उम्मीद नहीं होगी की दिग्विजयसिंग के प्रलाप के बाद काँग्रेस के लोग भी विरोध करेंगे , बीजेपी की तो उम्मीद थी .
मोर्चा सम्हाले थे श्री केयूर भूषण , स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पूर्वे संसद . कहाँ सो रहे थे केयूर जी अब तक? और ऐसा कैस तैश गांधीवादी का जो चप्पल निकालके लोगों को दिखा रहे थे . गांधीजी का सिद्धांत तो कुछ और था की दूसरा गाल आगे कर दो . ऐसा क्या कर दिया शहर के बच्चों ने .
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सौजन्य : नवभारत , रायपुर