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सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

रविवार डॉट कॉम क्या एक निष्पक्ष मंच है

निशाने पर आदिवासी

raviwar.com पर नीचे दिए गए पोस्ट पर मैंने एक टिप्पणी की थी . जिसे प्रकाशन के उपयुक्त नहीं समझा गया .वैसे किसी भी साईट या ब्लॉग का यह अपना अधिकार है कि वह किस टिप्पणी को छापे और किसे नहीं . इस टिप्पणी को आप भी देखिये और बताइए कि इसे नहीं छापकर इस मंच ने अपने एक तरफ़ा दृष्टिकोण को ही सच साबित किया है या  नहीं.

मेरी टिप्पणी यह थी :-
"बड़ी अच्छी बात है की दूरस्थ वनंअंचलो में इतनी जन जागृति आ गयी और उन्होने हथियारों और गोला बारूदों की फ़ैक्टरि भी लगा ली जो शहरो में बैठे माफिया और डॉन नहीं कर पाये और उन्हें दूसरे देशों में पनाह लेना पड़ा .
सीखो कुछ तो सीखो शहरों में रहने वालों डरो मत एक पूरी फौज खड़ी है एक नयी क्रांति लाने . इतने बड़े बड़े लोग तुम्हारे साथ हैं लेकिन फिर भी तुम डरते हो क्यों . काहिल डरपोक तुम्हारे कारण ही हमारा स्वर्णिम अभियान नहीं सफल हो रहा है .
चेतावनी सुन लो लेकिन जिस दिन हम शक्तिशाली हो गए तुम्हारी ऐसी बैंड बजाएंगे की तुम्हें नानी याद आ जाएगी .
लाल सलाम "


निशाने पर आदिवासी

संदीप पांडेय


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