दाऊ निरंजन लाल गुप्त जी के चार पुत्र हैं लेकिन उन्होने कभी भी पुत्रियों को और बहुओं को पुत्रों से कम नहीं माना । वे हम जैसे, उम्र में उनसे बहुत छोटे लेखकों को भी बहुत सम्मान देते थे और यह उनकी जीवन शैली में शामिल था । उन्हे विनम्र श्रद्धांजलि ।- शरद कोकास ,दुर्ग
7 टिप्पणियां:
स्त्री को बराबरी देने का बहुत अच्छा उदाहरण
धन्यबाद
इस प्रयोग ने स्त्रियों को बराबरी का मान दिया है। श्रद्धेय दिवंगत गुप्त जी इस अनुकरणीय वसीयत के लिए सदैव जाने जाएँगे।
ek nayi soch aur ek nayi pahal ko disha di hai.
.... एक प्रसंशनीय व अनुकरणीय कदम है, बधाईंया!!!!
सार्थक कदम!!
गुपत जी का और परिवार का ये कदम प्रसंशनीय व अनुकरणीय है,धन्यवाद्
दाऊ निरंजन लाल गुप्त जी के चार पुत्र हैं लेकिन उन्होने कभी भी पुत्रियों को और बहुओं को पुत्रों से कम नहीं माना । वे हम जैसे, उम्र में उनसे बहुत छोटे लेखकों को भी बहुत सम्मान देते थे और यह उनकी जीवन शैली में शामिल था । उन्हे विनम्र श्रद्धांजलि ।- शरद कोकास ,दुर्ग
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