
आज सुबह दैनिक भास्कर में ये खबर देखी ।
इसके बारे में पिछले दो पोस्ट में अपनी बात कहने का प्रयास कर ही चुका हूँ । पर शायद या तो लोग निष्पक्ष नहीं है या फिर शायद हिम्मत ही नहीं या फिर उनकी पानी मजबूरियाँ होगी ।
खैर अब देखना ये है क्या इस विनायक सेन और बाबूलाल अग्रवाल पर दोहरी नीति रखने वाली सरकार को शर्म आती है और वो इतनी हिम्मत दिखाए की इस पूरे पकरण में दोषियों को सजा दिला सके ??????
वरना जैसा की सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है "वो दिन दूर नहीं जब सड़कों पर भ्रष्टाचारियों की पिटाई होगी ।"
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