मंगलवार, 23 मार्च 2010

छत्तीसगढ़ में सदभाव की एक मिसाल देखिये

24 मार्च को रायपुर में हनुमान चालीसा महापाठ का आयोजन है देखिये इस आयोजन में कौन कौन भाग ले रहे हैं .कुछ शिक्षा इससे लोग ले सकें तो देश का भला होगा .



सौजन्य : नवभारत रायपुर







शनिवार, 20 मार्च 2010

भिलाई इस्पात संयंत्र को लगातार तीसरे वर्ष 'गोल्डन पीकॉक' अवार्ड

छत्तीसगढ़ की शान भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए गौरव का विषय है कि लगातार तीसरे वर्ष उसे 'गोल्डन पीकॉक अवार्ड फॉर कारपोरेट सोशल रेस्पॉसिबिलिटी' का विजेता घोषित किया गया है। यह लोगों की जिंदगी को सार्थक बनाते हुए भिलाई इस्पात संयंत्र के अनवरत प्रयासों की पहचान है। इस वर्ष 200 से अधिक सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र की कंपनियों ने इस पुरस्कार के लिए आवेदन किया था। लेकिन यह प्रतिष्ठित पुरस्कार बीएसपी के हिस्से में आया।

इंस्टीट्यूट ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए स्थापित पीकॉक अवार्ड किसी भी कंपनी की निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व गतिविधियों के लिए दिया जाता है। इस बार इस खिताब की दौड़ में शामिल 200 में से 20 कंपनियां फाइनल में पहुंची थी। इन 20 कंपनियों से निर्णयकों के पैनल में कार्पोरेट सेक्टर के जाने-माने नाम और जस्टिस पीएन भगवती शामिल थे।

पुरस्कार वितरण समारोह पुर्तगाल में, अप्रैल में होने वाले इंडो-पुर्तगीज व्यापार सम्मेलन के दौरान होगा।

शुक्रवार, 19 मार्च 2010

महामाया दर्शन

चल संगवारी, चल ओ मितान
चल चलव "रतनपुर"
दर्शन कर "महामाया" के
आशिर्वाद ला लेबो

मिलजुल के सब काम ला करबो
नाम गांव के रोशन करबो
किसान बन के फ़सल उगाबो
लईकामन ला खूब पढाबो

दर्शन कर "महामाया" के
आशिर्वाद ला लेबो

माटी बर न खून बहाबो
तोर-मोर के बात न करबो
मिलजुल के सब काम ला करबो
नाम गांव के रोशन करबो

दर्शन कर "महामाया" के
आशिर्वाद ला लेबो

दीन-दुखी के मदद करबो
अऊ सबके हाथ बंटाबो
गांव-गांव, शहर-शहर मा
खुशियों के लहर बहाबो

दर्शन कर "महामाया" के
आशिर्वाद ला लेबो

किसान बनबो, डाक्टर बनबो
नेता अऊ अभिनेता बनबो
संगी अऊ संगवारी बनबो
'छतीसगढ' के मान बढाबो

दर्शन कर "महामाया" के
आशिर्वाद ला लेबो

तोर-मोर, जात-पात
ऊंच-नीच मा, भेद न करबो
'छत्तीसगढ' के माटी मा
सुग्घर फ़ल-फ़ूल उगाबो

दर्शन कर "महामाया" के
आशिर्वाद ला लेबो

सब झन ला साक्षर करबो
अऊ सब के मान बढाबो
'छत्तीसगढ' के बात ला करबो
अऊ देश-विदेश मा छा जाबो

दर्शन कर "महामाया" के
आशिर्वाद ला लेबो ।

( छत्तीसगढ अंचल के जिला बिलासपुर में स्थित "रतनपुर" में "महामाया देवी" का प्रसिद्ध मंदिर है जहां नवरात्री पर्व पर लाखों भक्त दर्शन व मनोकामना पूर्ती हेतु "ज्योती कलश" जलवाते हैं "महामाया देवी" के आशिर्वाद से मैंने यह रचना लिखी है जिसे मैं अपने ब्लाग "कडुवासच" पर प्रकाशित करते करते रुक गया, शायद इसलिये कि इस रचना के लिये यह ब्लाग "छत्तीसगढ" मुझे अन्तर्मन से ज्यादा उपयुक्त लगा ...... नवरात्री पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं )

Alag sa: कबीरदासजी और छत्तीसगढ़

Alag sa: कबीरदासजी और छत्तीसगढ़

बुधवार, 17 मार्च 2010

भिलाई की बेटी आज लंदन में Genpact की वाइस प्रेसीडेंट है

छत्तीसगढ़ की शैक्षणिक राजधानी व व्यवसायिक रीढ़, भिलाई ने पूरे विश्व में डंका बजा रखा है। इसी क्रम में यह जानिए कि भिलाई की बेटी 34 साल की स्मिता आज लंदन में जेनपेक (Genpact) कंपनी में वाइस प्रेसींडेट है। भिलाई के एमजीएम और डीपीएस से अपनी शिक्षा ले चुकी स्मिता जिना (गुप्ता) कंपनी के वाइस प्रेसीडेंट के रूप में अपना काम बखूबी संभाल रही है

पूरी खबर के लिए सीधे ऊपर दी गई कतरन पर क्लिक करें

रविवार, 14 मार्च 2010

एक ही जगह से निकल, नर्मदा और सोन विपरीतगामी क्यों हैं ?

पिछली होली पर चार दिनों का जुगाड़ कर नर्मदा नदी के उद्गम स्थल को देखने का मौका हथिया लिया गया। वहीं नदी के बारे में प्रचलित कथा को फिर से सुनने का मौका मिला। हाजिर है :-

अप्रतिम सुंदरी मेकलसुता नर्मदा जब बड़ी हुई तो उससे विवाह को आतुर राजकुमारों के सामने शर्त रखी गयी कि जो भी गुलबकावली के फूल ले कर आएगा, उसी से उसका विवाह किया जाएगा। इसमें सोनभद्र को सफलता मिली और उससे नर्मदा के परिणय का दिन तय कर दिया गया।
तयशुदा दिन सोनभद्र को आने में किसी कारण देर हो गयी तो नर्मदा ने अपनी सहेली को पता लगाने भेजा। गलती से सोनभद्र उसे ही नर्मदा समझ बैठा और उसके साथ हास-परिहास करने लगा।
सखी को ना आता देख नर्मदा खुद आगे बढ गयी पर वहां का महौल देख अति क्रुद्ध हो उठी और नदी का रूप धर पश्चिम की ओर दौड़ पड़ी। उधर सोनभद्र को जब असलियत पता चली तो उसे भी अपनी करनी पर दुख हुआ साथ ही नर्मदा की नासमझी पर क्रोध भी आया इसी वजह से वह नर्मदा की विपरीत दिशा में चल पड़ा।

आज भी ये दोनों नदियां एक ही जगह से निकल विपरीत दिशाओं की ओर रुख किए हुए हैं।

* पुराणों में कुछ नदियों को पुरुष रूप कहा गया है, जैसे सोन, व्यास, ब्रह्मपुत्र आदि।

बुधवार, 3 मार्च 2010

लाल बहादुर शास्त्री जी और मंगलवार का दिन !!!

क्या कहेंगे इसे, कुदरत का करिश्मा या संयोग?

कभी-कभी कुछ ऐसा घटता है जिसके सामने कोई भी तर्क काम नहीं करता और हम इन संयोगों को मुंह बाए आंखें फैलाये कुदरती करिश्मा कह अपने आप को समझा लेते हैं।
कुछ इसी तरह का अजीबोगरीब संयोग हमारे भूतपूर्व प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी और मंगलवार के दिन का है। यह दिन सदा उनके जीवन में महत्वपूर्ण रहा था।

बचपन में एक बार इलाहाबाद संगम पर मंगलवार वाले दिन नहाते समय वे डूबते-डूबते बचे थे।

1947 में उत्तर प्रदेश पार्लियामेंटरी बोर्ड़ के मंत्री बने, उस दिन भी मंगलवार था।

1951 में जब पुलिस और यातायात मंत्री बने, तब भी दिन मंगलवार का था।

1952 में पहली बार जब कांग्रेस के महासचिव बने, तब भी दिन मंगलवार का ही था।

1957 में जब उन्होंने रेल मंत्री का पद संभाला तब भी दिन मंगलवार का ही था।

और तो और जिस दिन उन्होंने प्रधान मंत्री बन देश की बागडोर संम्भाली तब भी दिन मंगलवार था।

मंगलवार के ही दिन उन्हें "भारत रत्न" की उपाधी से नवाजा गया था।

इतना ही नहीं, जिस दिन परमात्मा ने उन्हें अपने पास बुलाया वह दिन भी मंगलवार था।

क्या कहेंगे इसे ?

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