क्या कहेंगे इसे, कुदरत का करिश्मा या संयोग? कभी-कभी कुछ ऐसा घटता है जिसके सामने कोई भी तर्क काम नहीं करता और हम इन संयोगों को मुंह बाए आंखें फैलाये कुदरती करिश्मा कह अपने आप को समझा लेते हैं।
कुछ इसी तरह का अजीबोगरीब संयोग हमारे भूतपूर्व प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी और मंगलवार के दिन का है। यह दिन सदा उनके जीवन में महत्वपूर्ण रहा था।
बचपन में एक बार इलाहाबाद संगम पर मंगलवार वाले दिन नहाते समय वे डूबते-डूबते बचे थे।
1947 में उत्तर प्रदेश पार्लियामेंटरी बोर्ड़ के मंत्री बने, उस दिन भी मंगलवार था।
1951 में जब पुलिस और यातायात मंत्री बने, तब भी दिन मंगलवार का था।
1952 में पहली बार जब कांग्रेस के महासचिव बने, तब भी दिन मंगलवार का ही था।
1957 में जब उन्होंने रेल मंत्री का पद संभाला तब भी दिन मंगलवार का ही था।
और तो और जिस दिन उन्होंने प्रधान मंत्री बन देश की बागडोर संम्भाली तब भी दिन मंगलवार था।
मंगलवार के ही दिन उन्हें "भारत रत्न" की उपाधी से नवाजा गया था।
इतना ही नहीं, जिस दिन परमात्मा ने उन्हें अपने पास बुलाया वह दिन भी मंगलवार था।
क्या कहेंगे इसे ?