सोमवार, 21 जून 2010

छत्तीसगढ़ के अक्षय ने जीता स्टार एंकर अवार्ड


सौजन्य :समाचार4मीडिया.कॉम ब्यूरो


akshay shukla

स्टार न्यूज ने अपने एंकर हंट अभियान के तहत 10 शहरों के करीब पांच लाख लोगों में से छत्तीसगढ़ के 20 वर्षीय इंजीनियर अक्षय शुक्ला और दिल्ली की मीनाक्षी कांडवाल को स्टार एंकर चुना है। इन दोनों विजेताओं को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने पुरस्कृत किया।
स्टार एंकर हंट प्रतियोगिता का ग्रैंड फिनाले रविवार को राजधानी के ग्रैंड होटल में आयोजित किया गया। इस मौके पर मशहूर एंकर व पत्रकार दीपक चौरसिया, लेखक चेतन भगत और अभिनेत्री टिस्का चोपड़ा फाइनल प्रतियोगियों में से विजेता को चुनने के लिए को जज की भूमिका में थे।  फाइनल में चुने गए छह प्रतियोगियों अक्षय, मीनाक्षी, सहर, विशाल, पल्लवी और गुरजीत को लालू प्रसाद यादव से इंटरव्यू के तौर पर सवाल पूछने थे। इन सवालों और पहले के प्रदर्शन के आधार पर ही विजेता का चयन किया जाना था।
इस मौके पर दीपक चौरसिया ने कहा कि स्टार एंकर हंट के जरिए स्टार न्यूज की टीम देश के 10 शहरों में गई और कड़ी मशक्कत के बाद वहां से पांच लाख प्रतियोगियों को इस प्रतियोगिता के लिए सलेक्ट किया।
तीन महीने की कड़ी मशक्कत और खोज के बाद इनमें से 20 फाइनलिस्ट को चुना गया। इन्हें लगातार प्रशिक्षित किया गया। और इनके अंदर एक समझदार एंकर व पत्रकार को तराशा गया। इसके बाद फाइनल तक आते-आते इनमें से छह फाइनलिस्टट बचे, जिन्हें इनकी प्रतिभा, प्रदर्शन, ज्ञान, समझदारी, चपलता और सहजता के आधार पर परखा गया। इनमें से अक्षय शुक्ला व मीनाक्षी कांडवाल को देश का पहला स्टार एंकर चुन लिया गया । दोनों विजेताओं को पुरस्कार के तौर पर स्टार न्यूज के साथ तीन साल का करार, पुरस्कार राशि और फोर्ड की कार दी गई। 

शनिवार, 12 जून 2010

चिकित्सा से गजल तक एक सफर

हमेशा एक मंद मंद मुसकुराता चेहरा .
 एक अच्छे चिकित्सक की निशानी


 एक अच्छे चिकित्सक की निशानी
 नाम है डॉ संजय दानी .
अभी दुर्ग शहर , छत्तीसगढ़ में नाक कान गला रोग विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत .
बहुमुखी प्रतिभा के धनी . पढ़ाई में अग्रणी रहने के साथ साथ खेल और रंगमंच में भी दखल.
लोग देश छोड़ जाते हैं इन्हे अपनी धरा से इतना प्रेम की PGI chandigarh में मिले दाखले को ठुकराकर रायपुर से ही अपनी आगे की पढ़ाई करने का निर्णय :).
कुछ समय पहले एक विवाह कार्यक्रम में मुलाक़ात हुई तो पता चला जनाब शायर लहुट गए हैं और इसके लिए बाकायदा उर्दू सीखी.
अपने  इस नए कदम के बारे में खुद इनके शब्दों में :
 2004 से जब मै अग्रवाल समाज दुर्ग का महामन्त्री बना तब  समाज की पत्रिका
मेरे प्रयासों से निकाली  गयी ।उसी वक़्त मेरी कलम कविताओं की ओर आकर्शित
हुई। पहले हलकी फ़ुल्की कवितायें फ़िर गज़लों ने मुझे अपने नागपाष मे जकड़
लिया।मेरी 2 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं1"मेरी गज़ल-मेरी हम शक्ल
(2007)" व "खुदा खैर करे(2009)"। आज की तारीख मे मेरे पास लगभग 8 किताबों
के लायक materials  हैं। 3री किताब का मसौदा "वैभव प्रकाशन" रायपुर को
छपने दिया जा चुका है जिसका टाईटिल "चश्मे-बद्दूर" है.

 तो क्या कहते हैं हुजूर 
जाइएगा  इनके ब्लाग पर एक बार जरूर 

मुझे गजल सुननी हमेशा अच्छी लगी उम्मीद है आपको भी पसंद आयेगी

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