गुरुवार, 6 मई 2010

छत्तीसगढ़ के लोगों का नक्सल समर्थकों के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन-केयूर भूषण जी अब तक कहाँ थे

जब तथाकथित मानवाधिकारवादी छुप के बैठ गए तो गांधीवादियों के रूप में नामचीन हस्तियों का छत्तीसगढ़ की जमीन पर आगमन हुआ शांति यात्रा के लिए . जब तक सरकार चुप थी तो तब तक सब शांत था . सरकार ने कदम उठाने शुरू किए तो इनकी भी नींद में खलल पड़ा और कूच कर गए अपने एसी कमरों को छोड़ कर हवा मे  उड़ते हुए छत्तीसगढ़ की ओर .
उम्मीद नहीं होगी की दिग्विजयसिंग के प्रलाप के बाद काँग्रेस के लोग भी विरोध करेंगे , बीजेपी की तो उम्मीद  थी .
मोर्चा सम्हाले थे श्री केयूर भूषण , स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पूर्वे संसद . कहाँ सो रहे थे केयूर जी अब तक? और ऐसा कैस तैश गांधीवादी का जो चप्पल निकालके लोगों को दिखा रहे थे . गांधीजी का सिद्धांत तो कुछ और था की दूसरा गाल आगे कर दो . ऐसा क्या कर दिया शहर के बच्चों  ने .


आप भी देखिये खबर :



सौजन्य : नवभारत , रायपुर

5 टिप्‍पणियां:

honesty project democracy ने कहा…

सरकार के हर कार्य में ईमानदारी और पारदर्शिता की कमी है /

36solutions ने कहा…

अरे! बबा सठिया गे हे का गा.

Sanjeet Tripathi ने कहा…

haho, kaka ha 80+ hoye ke baad sathiyaye he...

raipur ke town hall me jab ye lafda hois he to keyur kaka ke tevar ha dekhe ke laaik rahis he...

Anil Pusadkar ने कहा…

चेहरा बदलने से क्या होता है?सब जानते हैं ये नक्सलियों के नये समर्थकों की नई फ़ौज है।

Amitabh Mishra ने कहा…

बड़ा खेल है ये! कुछ लोग तो सीधे सीधे पे-रोल पर हैं नक्सली आतंकवादियों के, और इनका काम है - कुछ अन्य सरल और अच्छे लोगों को झूठ के पुलिंदे के जरिये अपने साथ में ले कर ये सारे बेकार के नाटक और प्रपंच रचने का, ताकि जो मामले को कम जानते हैं, या नहीं जानते हैं, उनके लिए निर्णय करना मुश्किल हो जाए और वे भी इनके झूठे प्रचार के बहकावे में आ जाएँ. जब तक किसी को बुक कर के दस वर्षों के लिए अंदर नहीं करेंगे, तब तक ऐसे लोगों के भेजे में कुछ नहीं घुसना शुरू नहीं होगा. आज के भारत का सबसे बड़ा रोग हैं ये सारे नाटककार.

Table Of Contents