जब तथाकथित मानवाधिकारवादी छुप के बैठ गए तो गांधीवादियों के रूप में नामचीन हस्तियों का छत्तीसगढ़ की जमीन पर आगमन हुआ शांति यात्रा के लिए . जब तक सरकार चुप थी तो तब तक सब शांत था . सरकार ने कदम उठाने शुरू किए तो इनकी भी नींद में खलल पड़ा और कूच कर गए अपने एसी कमरों को छोड़ कर हवा मे उड़ते हुए छत्तीसगढ़ की ओर .
उम्मीद नहीं होगी की दिग्विजयसिंग के प्रलाप के बाद काँग्रेस के लोग भी विरोध करेंगे , बीजेपी की तो उम्मीद थी .
मोर्चा सम्हाले थे श्री केयूर भूषण , स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पूर्वे संसद . कहाँ सो रहे थे केयूर जी अब तक? और ऐसा कैस तैश गांधीवादी का जो चप्पल निकालके लोगों को दिखा रहे थे . गांधीजी का सिद्धांत तो कुछ और था की दूसरा गाल आगे कर दो . ऐसा क्या कर दिया शहर के बच्चों ने .
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सौजन्य : नवभारत , रायपुर
5 टिप्पणियां:
सरकार के हर कार्य में ईमानदारी और पारदर्शिता की कमी है /
अरे! बबा सठिया गे हे का गा.
haho, kaka ha 80+ hoye ke baad sathiyaye he...
raipur ke town hall me jab ye lafda hois he to keyur kaka ke tevar ha dekhe ke laaik rahis he...
चेहरा बदलने से क्या होता है?सब जानते हैं ये नक्सलियों के नये समर्थकों की नई फ़ौज है।
बड़ा खेल है ये! कुछ लोग तो सीधे सीधे पे-रोल पर हैं नक्सली आतंकवादियों के, और इनका काम है - कुछ अन्य सरल और अच्छे लोगों को झूठ के पुलिंदे के जरिये अपने साथ में ले कर ये सारे बेकार के नाटक और प्रपंच रचने का, ताकि जो मामले को कम जानते हैं, या नहीं जानते हैं, उनके लिए निर्णय करना मुश्किल हो जाए और वे भी इनके झूठे प्रचार के बहकावे में आ जाएँ. जब तक किसी को बुक कर के दस वर्षों के लिए अंदर नहीं करेंगे, तब तक ऐसे लोगों के भेजे में कुछ नहीं घुसना शुरू नहीं होगा. आज के भारत का सबसे बड़ा रोग हैं ये सारे नाटककार.
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