मंगलवार, 28 सितंबर 2010

अयोध्या विवाद ... देश वासियों से एक मार्मिक अपील !!!

अयोध्या ... राम जन्मभूमि - बाबरी मस्जिद विवादास्पद स्थल के स्वामित्व विवाद पर आगामी कुछ दिनों में हाईकोर्ट लखनऊ द्वारा अपना फैसला सुनाये जाने की पूर्ण संभावना है

दावे-प्रतिदावे, तर्क-वितर्क का अपना-अपना महत्त्व है पर यहाँ पर मेरा मानना है कि कभी कभी सब निर्थक से जान पड़ते हैं, प्रश्न यहाँ सार्थकता निर्थकता का नहीं है, प्रश्न है मानवीय संवेदनाओं तत्कालीन परिस्थितियों का

एक तरफ दावे-प्रतिदावे, तर्क-वितर्क हों और दूसरी तरफ मानवीय संवेदनाएं वर्त्तमान परिस्थितियाँ हों, ऐसी स्थिति में हमारी मानवीय व्यवहारिक सोच क्या जवाब देती है यह भी विचारणीय है

एक प्रश्न धार्मिक आस्था विश्वास का भी है, यहाँ मेरा मानना है कि धर्म मानवीय जीवन के अंग हैं इन्हें हम मानवीय जीवन के साथ मान सकते हैं बढ़कर नहीं, यदि धार्मिक आस्थाएं विश्वास शान्ति सौहार्द्र का प्रतीक बनें तो अनुकरणीय सराहनीय हैं

जहां स्थिति विवाद की हो ... विवादास्पद हो ... वहां प्रश्न राम जन्मभूमि या बाबरी मस्जिद का नहीं होना चाहिए, और ही हिन्दू मुसलमानों की धार्मिक आस्थाओं का ... प्रश्न होना चाहिए हिन्दुओं मुसलमानों की भावनाओं संवेदनाओं का ... यह वह घड़ी है जब हिन्दुओं मुसलमानों को अपनी अपनी सार्थक सकारात्मक सोच व्यवहार का प्रदर्शन करते हुए मानवीय हित देश हित में एक मिशाल पेश करना है

मेरा मानना तो यह है कि अब हिन्दुओं मुसलमानों को मानवीय हित, सौहार्द्र शान्ति का पक्षधर होते हुए यह निश्चय कर लेना चाहिए कि अदालत तो अपना फैसला सुनाएगी ही, फैसला पक्ष में हो या विपक्ष में, पर हमारा - हम सबका फैसला शान्ति सौहार्द्र के पक्ष में है, देश हित में है

इस विवादास्पद मुद्दे पर मेरी अपील सिर्फ हन्दू-मुसलमानों से नहीं है वरन उन धार्मिक संघठनों राजनैतिक पार्टियों से भी है जो प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से इस मुद्दे से जुड़े हुए हैं, हम सभी शान्ति सौहार्द्र के पक्ष में सोचें कदम बढाएं

साथ ही साथ मेरा यह भी मानना है कि हिन्दू, मुसलमान, धार्मिक संघठन, राजनैतिक पार्टियां ... सभी औपचारिकता अनौपचारिकता के दायरे से बाहर निकलें तथा मानवीय हित, शान्ति सौहार्द्र के पक्षधर बनें

अयोध्या विवाद ... कोई चुनावी, राजनैतिक, खेल, हार-जीत जैसा प्रतिस्पर्धात्मक मुद्दा नहीं है और ही हो सकता है ... इसलिए इस पहलू पर हम सब की सोच व्यवहार सिर्फ ... सिर्फ ... और सिर्फ शान्ति सौहार्द्र की पक्षधर होनी चाहिए ... जय हिंद !!!

2 टिप्‍पणियां:

Inderjeet Singh (RICKY) ने कहा…

बिलकुल सही लिखा है आपने.... मै आपका पूर्णतः समर्थन करता हूँ.... अयोध्या विवाद को राजनैतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहिए.... जो हो गया है उसे तो हम बदल नहीं सकते परन्तु आने वाले कल को हम अपने कर्मों से सुधार या बिगाड़ सकते हैं.....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

इस बात पर रीफ़्रेंडाम क्यूँ नही करा लेते भारत में ....

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